फ्रेडरिक विन्सलो टेलर: वैज्ञानिक प्रबंधन | Scientific Management by Frederick Winslow Taylor in Hindi

फ्रेडरिक विन्सलो टेलर: वैज्ञानिक प्रबंधन  

परिचय         

वैज्ञानिक प्रबंधन दो शब्दों वैज्ञानिक + प्रबंध से मिलकर बना है। जिसमें विज्ञान का अर्थ विशिष्ट जानकरी तथा ज्ञान की अभिवृद्धि है और प्रबंध का आशय किसी कार्य को सुव्यवस्थित ढंग से चलाना है। इस प्रकार वैज्ञानिक प्रबंध का अर्थ विशिष्ट ज्ञान से किसी कार्य को सुव्यवस्थित ढंग से करना।  संगठन का पहला सिद्धांत आधुनिक शताब्दी के प्रारंभिक वर्षो में (1856-1915) फ्रेडरिक विन्सलो टेलर द्वारा निर्मित हुआ। वह एक इंजीनियर थे। उन्हें वैज्ञानिक प्रबंध का जन्मदाता माना जाता है। टेलर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने औद्योगिक कुशलता तथा अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु औद्योगिक कार्यो एवं प्रबंधन के क्षेत्रों में औद्योगिक पद्धति अपनाने का सुझाव दिया। 19वीं शताब्दी के अन्तिम भाग में जब औद्योगिक क्रांति अपनी चरम सीमा पर थी तब व्यापार तथा उद्योग में तीव्र विस्तार से औद्योगिक योजना और प्रबंध में नई समस्याएं सामने आने लगी। कारखानों की स्थिति अव्यवस्थित थी। जिसके चलते कार्य करने के ढंग, उपकरण तथा प्रक्रिया कुशलता के अनुरूप नहीं थी। कार्य विधि को श्रमिक पर छोड़ दिया जाता था। जिसके कारण योजना और कुशलता दोनों ही अस्त-व्यस्त थी। प्रस्तुत संदर्भ में औद्योगिक उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए टेलर ने वैज्ञानिक प्रबंधन का विचार प्रस्तुत किया। टेलर की मुख्य धारण है कि प्रबंधन स्पष्ट निर्मित कानूनों और सिद्धान्तों पर आधारित है जिन्हें सभी संगठनों में एक रूप से लागू किया जा सकता है।

टेलर का जन्म सन् 20 मार्च, 1856  को जर्मन टाउन में हुआ। वह एक इंजीनियर थे, जिन्होंने वैज्ञानिक औद्योगिक प्रबंध की नींव डाली। इन्हें सन् 1875  में फिलाडेल्फिया के एक छोटी फर्म में मशीनों तथा उनके कार्य के विषय में प्रशिक्षणार्थी के रूप में रखा गया। सन् 1880 से 81 के बीच उसे मिडवेल स्टील कंपनी में श्रमिकों के एक समूह का निरीक्षक एवं अगुआ नियुक्त किया गया। सन् 1893 से 1901 के मध्य इन्होंने अनेक औद्योगिक कारखानों में परामर्श अभियंता के रूप कार्य किया तथा अपने वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांतों को विकसित किया। सन् 1915 में उनकी मृत्यु हो गई।

प्रमुख कृतियां

  • Notes on Belting (1894)
  • A Piece-rate System (1895)
  • Shop Management (1903) (आर्टिकल)
  • The Art of Cutting Metals (1906)
  • Shop Management (1910)
  • Principles of Scientific Management (1911) यह पुस्तक आगे चलकर सन् 1949 में Scientific Management के नाम से पुनः प्रकाशित हुई।

वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत : टेलर

टेलर का वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत संगठन का पहला क्रमबद्ध सिद्धांत है। वैज्ञानिक प्रबंधन दृष्टिकोण का विकास औद्योगिक क्रान्ति की प्रारंभिक अवस्था में हुआ। जिसके माध्यम से औद्योगिक विकास की कुछ समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया गया। औद्योगिक समाज की मुख्य चिंताएं, दक्षता सुधारना, उत्पादन की लागत घटाना और लाभ बढ़ाना था। जिसको दो कोटेदार रणनीतियों द्वारा प्राप्त किया जा सकता था। जिसमें एक का संबंध कामगारों की दक्षता प्रबंधन के साथ कार्य की प्रौद्योगिकी तथा तकनीकी सुधारने से है, जबकि दूसरे का संबंध नई कालोनियों के लिए बाजार का विस्तार करना है। टेलर औद्योगिक समाज की पहली चिंता का समाधान करने का प्रयास कर रहे थे। इसलिए उन्होंने कार्य करने के वैज्ञानिक ज्ञान और संगठनों का प्रबंधन करने के वैज्ञानिक तरीके पर बल दिया।

वैज्ञानिक प्रबंधन : आधारभूत सिद्धांत

प्रबंधन की कमजोरियों पर विजय प्राप्त  करने के लिए टेलर ने प्रबंधन द्वारा अपनाए जाने वाले सिद्धांतों को प्रस्तुत किया, जिन्हें वैज्ञानिक प्रबंधन के सिद्धांत कहा जाता है। जो निम्नलिखित हैं:

  1. विज्ञान, न कि अंगूठे का नियम : टेलर अपने वैज्ञानिक प्रबंधन के सिद्धांत में विज्ञान के विकास पर अत्यधिक बल देते हैं। उनका मानना था कि “प्रत्येक कार्य वैज्ञानिक विधि से किया जाना चाहिए न कि अंगूठे के नियम पर।” अर्थात् अनुभव द्वारा सुधार तथा विकास करने के परंपरागत सिद्धांत ‘गलती करो और सुधारों’ के स्थान पर वैज्ञानिक तरीकों से ही कार्य का बंटवारा किया जाना चाहिए।
  2. सामंजस्य न की संघर्ष : टेलर उद्यम के कर्मचारियों तथा प्रबंधन के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों पर अधिक बल देते हैं। उनकी मान्यता है कि एक उद्यम को दो आधार स्तंभों के रूप में उसकी सफलता तभी मिलेगी जब दोनों पक्षों के बीच संघर्षपूर्ण तथा मैत्रीपूर्ण संबंध होंगे। उन्होंने मानसिक क्रांति के माध्यम से ऐसी परिकल्पना को संभव बनाया।
  3. सहयोग, न कि व्यक्तिवाद : टेलर की मान्यता है कि जिस प्रकार ‘अकेला चना कभी भाड़ नहीं फोड़ सकता’ ठीक उसी प्रकार केवल व्यक्तिवादी प्रयत्नों से संगठन के उद्देश्यों को प्राप्त नहीं किया जा सकता। संगठन के कर्मचारियों में सहयोग की भावना होना अति आवश्यक है। न्यूनतम लागत पर अधिकतम उत्पादन वैज्ञानिक प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य है। इस उद्देश्य को केवल सहयोगात्मक प्रयासों से ही प्राप्त किया जा सकता है न कि व्यक्तिवादी प्रयासों से।
  4. सीमित उत्पादन के स्थान पर अधिकतम उत्पादन : टेलर के अनुसार वैज्ञानिक प्रबंधन का उद्देश्य श्रमिकों तथा मालिकों दोनों की खुशहाली है एवं यह तभी संभव हो सकता है जब उद्यम में उत्पादन अधिकतम हो। इसी कारण टेलर सीमित उत्पादन के स्थान पर अधिकतम उत्पादन पर अधिक बल देते हैं।
  5. प्रत्येक व्यक्ति का अधिकतम दक्षता एवं समृद्धि तक विकास : टेलर ने वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत के अंतर्गत श्रमिकों की दक्षता बढ़ाने पर अधिक बल दिया। जिससे वह ऊंची मजदूरी दर पाने में सक्षम हो सके। ऐसा तभी संभव है जब श्रमिकों का वैज्ञानिक आधार पर चयन हो तथा उनके बीच प्रशिक्षण एवं कार्य का आवंटन वैज्ञानिक तरीके से किया जाये। इसके साथ ही वैज्ञानिक प्रबंधन श्रमिकों की समृधि के पक्ष पर भी विशेष बल देता है, क्योंकि मालिकों की समृद्धि तभी संभव हो सकती है जब श्रमिक समृद्धि हो।

मानसिक क्रांति

टेलर ने ‘मानसिक क्रांति’ को वैज्ञानिक प्रबंधन का मूल तत्त्व माना। उनके अनुसार मानसिक क्रांति से अभिप्राय श्रमिकों तथा मालिकों की मानसिकता में परिवर्तन से है। प्राय: मालिक श्रमिकों से अधिक कार्य करना चाहते हैं तथा श्रमिक मालिकों से अधिक मजदूरी। जिसके कारण दोनों एक-दूसरे को अपना विरोधी समझते हैं। इससे संगठन में पारस्परिक अविश्वास का वातावरण रहता है। टेलर इस मानसिकता में परिवर्तन का आग्रह करते हैं। इसी को वे ‘मानसिक क्रांति’ कहते हैं।

प्रकार्यात्मक फोरमैनशिप 

‘प्रकार्यात्मक फोरमैनशिप’ टेलर के वैज्ञानिक प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण अंग है। टेलर की यह अवधारणा कार्यों के विशेषीकरण पर आधारित है। इसके तहत श्रमिकों के कार्यों को निर्देशित करने का दायित्त्व 8 व्यक्तियों (अधिकारियों) का होता है। इन 8 अधिकारियों में से 4 व्यक्ति नियोजन तथा 4 श्रमिकों के कार्यों से प्रत्यक्ष रूप में जुड़े होते हैं। ये सभी 8 अधिकारी श्रमिकों के कार्यों को निर्देशित करते हैं।

टेलर के वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत की आलोचनाएं:

यद्यपि टेलर का वैज्ञानिक प्रबंधन सिद्धांत संगठन में उत्पादकता बढ़ाने में काफी कारगर साबित हुआ परंतु फिर भी इसमें कुछ कमियां थी, जिसके कारण कई आलोचक इसकी आलोचना प्रस्तुत करते हैं।

  • आलोचकों का मत है कि टेलर ने अपना सारा ध्यान कारखाना स्तर पर ही दिया और उच्च प्रबंध के सुधार पर कुछ नहीं कहा है।
  • टेलर के इस सिद्धांत का विरोध प्रबंधकों तथा श्रमिकों ने भी किया। प्रबंधकों का मत है कि टेलर उच्च प्रशिक्षण को आवश्यक मानते थे। अत: वे लोग टेलर के विरुद्ध हो गए जो बिना प्रशिक्षण के ही पदोन्नति द्वारा ऊंचे पदों को प्राप्त करना चाहते थे। प्रबंधकों से नहीं पटने के कारण ही टेलर को मिडवैल ओर बेथलेहम कंपनियों से त्यागपत्र देना पड़ा। वहीं श्रमिकों ने कार्य संपन्न करने की अवधि तथा अपने सभी प्रकार के कामों के मानकीकरण का विरोध किया। श्रमिकों को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आएगी कि उनसे आदमी के बदले यंत्र जैसा व्यवहार किया जाता था।
  • प्रोफेसर होक्सी ने अपनी रिपोर्ट में वैज्ञानिक प्रबंधन की आलोचना की तथा उसे उत्पादन के केवल यांत्रिक पहलुओं से संबंधित बताया और मानवीय पहलुओं की अपेक्षा करने का आरोप लगाया।
  • मेयो के ‘होर्थोन प्रयोग’ द्वारा टेलरवाद का खण्डन किया गया।
  • साइमन तथा मार्च वैज्ञानिक प्रबंधन को ‘शारीरिक संगठनात्मक सिद्धांत’ की संज्ञा देते हैं।
  • प्रबंधन के व्यवहार कर्ताओं ने नियोजन को क्रियान्वयन से पृथक करने का विचार एवं नियोजन कार्य को क्रियात्मक फोरमैनो को सुपुर्द करने की बात की और अव्यावहारिक माना।

निष्कर्ष

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि यद्यपि टेलर का वैज्ञानिक प्रबंधन काफी प्रभावशाली आंदोलन रहा परंतु इसके तहत टेलर ने श्रमिकों को केवल एक आर्थिक इकाई माना तथा उन पर पड़ने वाले सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों की अपेक्षा की जिसके कारण टेलर के इस सिद्धांत की कई आलोचकों द्वारा आलोचनाएं की गई। इन आलोचकों की मान्यता थी कि मानव की वित्तीय आवश्यकताओं के अतिरिक्त उनकी सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएं भी होती है। संगठन की सामाजिक प्रणाली के तहत व्यक्ति निजी तौर पर अपने सहकर्मियों से अलग-थलग नहीं रहता और वह सिर्फ विवेकशील मापदंडों से मार्गदर्शित नहीं होता। मेयो, रेनसिस लिकर्ट, क्रिस आदि अनेक विचारकों के अध्ययनों से यह ज्ञात होता है कि मनुष्य एक या अधिक अनौपचारिक समूह से संबद्ध होता है। उसके कार्य व्यवहार सामान्यता समूह मानदंडों एवं अपेक्षाओं से प्रभावित होते हैं।

 

संदर्भ सूची

  • Bhattacharya, Mohit. 2008.New Horizons of Public Administration. New Delhi: Jawahar Publishers and Distributors.
  • Chakrabarty, Bidyut. 2007.Reinventing Public Administration: The Indian Experience. New Delhi: Orient Longman.
  • Chakrabarty, Bidyut and Mohit Bhattacharya (eds). 2008.The Governance Discourse: A Reader, New Delhi: Oxford University Press.
  • बासु, रूमकी. 2016. लोक प्रशासन बदलते परिप्रेक्ष्य. नई दिल्ली :हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय.
  • मेहता, प्रो. एस. सी. (सम्पादित) 2000. लोक प्रशासन : प्रशासनिक सिद्धांत एवं अवधारणाएं. जयपुर : राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी.
  • थोरी, नरेंद्र कुमार. 2002. प्रमुख प्रशासनिक विचारक. जयपुर: आर बी एस ए पब्लिशर्स.
  • School of Open Learning University of Delhi, Perspectives on Public Administration, Paper VI:New Delhi: University of Delhi.

“मुफ्त शिक्षा सबका अधिकार आओ सब मिलकर करें इस सपने को साकार”

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